⛴ नाविक हम
We are Sailor
देशभक्ति की
माला में,
अब मनके नए
लगाने ।
अब सब मिलकर
निकल पड़े हैं,
खोए भाग्य
जगाने ।।
जात पात की
तोड़ बेड़ियां,
अब हम सब आजाद
रहे ।
देश खड़ा है
उच्च शिखर पर,
ना कोई अपवाद
रहे ।।
आजादी के बाद
देश ने,
देखा है जो
सपना ।
उस सपने को
धारण कर ले,
कर्म यही हो
अपना ।।
आपस में हो
भाईचारा,
द्वेष कभी ना
करना ।
मन में हो
संकल्प देशहित,
जीना और है
मरना ।।
जिस नाविक ने
नाव बनाकर,
जीवन भर
संघर्ष किया ।
उसी नाव पर मानवता का,
हम सब ने
संकल्प लिया ।।
शांति और
अहिंसा रूपी,
नाव बनाने
वाले हम ।
अंग्रेजी सागर
से इसको,
पार लगाने
वाले हम ।।
इसी नाव को
देखकर दुनिया,
नतमस्तक हो
जाती है ।
इसमें सजा
तिरंगा अपना,
लहर लहर लहराती है ।।
लेखक :- कमलेश कुमार मिश्र
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