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👉 आगाज की आगाह
( कविता :- आगाज की आगाह ) कवि :- कमलेश कुमार मिश्र
कौन कहे हम डरते हैं ,
एटम बम परमाणु से ।
दुनिया के हम वही सिपाही ,
जो डरते ईमान से ।
कोमल है दिल फूल स मेरा ,
पिघल मोम बन जाता ।
इसी मोम की चमक देखकर ,
दुश्मन भी घबराता ।
आगाज की आगाह |
ऑंच दिखाकर पिघलाओगे ,
जला राख कर देगा ।
अगर प्रेम से इसे जलाओ ,
तुम्हें उजाला देगा ।
एक मोम की ताकत का ,
अंदाज लगा पाओगे ।
अंधेरों में रहने वालों ,
इसे जला पाओगे ।
भारत का है भाईचारा ,
मिलजुल कर है रहना ।
किंतु पड़ोसी बिखर रहा है ,
उसको अब क्या कहना ।
अगर अंधेरा घर में छाया ,
मोम बगल से ले लो ।
दुनिया में बदनाम हो चुके ,
मत यह मुसीबत झेलो ।
जब कोई अनहोनी होती ,
दर्द मुझे भी होता है ।
हम रातों में भर जगते रहते ,
तुम फिर भी क्यों सोता है ।
गलत राह पर चलने वालों ,
गड्ढों में गिर जाओगे ।
पाल मुसीबत अपने घर में ,
जीवन भर पछताओगे ।
पिला पिला कर दूध सांप को ,
शौक जो तुमने पाला है ।
यही सांप डस लेगा तुमको ,
गलत मुसीबत डाला है ।
सच्चाई की राह पकड़ लो ,
भवसागर तर जाओगे ।
अगर समझ ना पाए फिर भी ,
जीवन भर पछताओगे ।
बात मान लो सोच समझ लो ,
अभी भी तुम बच जाओगे ।
अगर समझ में ना आया तो ,
निशां ढूंढ ना पाओगे ।
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