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Monday, September 16, 2019

Poem Warning To Begin ( कविता :- आगाज की आगाह, कवि :- कमलेश कुमार मिश्र )


Warning To Begin

👉 आगाज की आगाह



 ( कविता :- आगाज की आगाह )                                                                        कवि :- कमलेश कुमार मिश्र

कौन कहे हम डरते हैं ,
एटम बम परमाणु से
दुनिया के हम वही सिपाही ,

जो डरते ईमान से ।


कोमल है दिल फूल स मेरा ,

पिघल मोम बन जाता ।

इसी मोम की चमक देखकर ,
दुश्मन भी घबराता ।

KAMLESH KUMAR MISHRA
आगाज की आगाह



ऑंच दिखाकर पिघलाओगे ,
जला राख कर देगा

अगर प्रेम से इसे जलाओ ,

तुम्हें उजाला देगा ।


एक मोम की ताकत का ,

अंदाज लगा पाओगे ।

अंधेरों में रहने वालों ,

इसे जला पाओगे ।


भारत का है भाईचारा ,

मिलजुल कर है रहना ।

किंतु पड़ोसी बिखर रहा है ,

उसको अब क्या कहना ।


अगर अंधेरा घर में छाया ,

मोम बगल से ले लो ।

दुनिया में बदनाम हो चुके ,

मत यह मुसीबत झेलो ।


जब कोई अनहोनी होती ,
दर्द मुझे भी होता है ।

हम रातों में भर जगते रहते ,

तुम फिर भी क्यों सोता है ।


गलत राह पर चलने वालों ,

गड्ढों में गिर जाओगे ।

पाल मुसीबत अपने घर में ,

जीवन भर पछताओगे ।


पिला पिला कर दूध सांप को ,

शौक जो तुमने पाला है ।

यही सांप डस लेगा तुमको ,

गलत मुसीबत डाला है ।


सच्चाई की राह पकड़ लो ,

भवसागर तर जाओगे ।

अगर समझ ना पाए फिर भी ,

जीवन भर पछताओगे ।


बात मान लो सोच समझ लो ,

अभी भी तुम बच जाओगे ।

अगर समझ में ना आया तो ,


निशां ढूंढ ना पाओगे ।


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